नीरा अपनी पहली संतान का इंतजार कर रही थी। उसके जीवन में एक नई उमंग और उत्साह था, लेकिन इसके साथ ही कई सवाल और चिंता भी। हर दिन वह अपनी नन्हीं जान के बारे में सोचती, उसके चेहरे की कल्पना करती, और यह सोचकर खुश हो जाती कि वह कब उसके सामने आएगा।
नीरा का गर्भकाल आसान नहीं था। शुरूआती महीनों में उसे बहुत कमजोरी महसूस होती थी और हर सुबह मितली से जूझना पड़ता था। लेकिन उसके पति रोहन हर कदम पर उसका साथ देते। वह नीरा का ख्याल रखते, उसके लिए पौष्टिक खाना बनाते, और हर रात उसे कोई नई कहानी सुनाते ताकि वह अच्छा महसूस कर सके।
एक दिन रोहन ने नीरा को एक खास जगह पर ले जाने का प्लान बनाया। उन्होंने एक छोटी सी यात्रा का कार्यक्रम बनाया, जहाँ वे एक सुंदर हिल स्टेशन पर जा सके, जिससे नीरा को ताजगी महसूस हो। नीरा ने थोड़ी झिझक के साथ यह यात्रा मंजूर की, लेकिन रोहन के उत्साह को देखकर वह मान गई।
पहाड़ी रास्तों पर चलते हुए, नीरा ने महसूस किया कि यह सफर उसकी ज़िंदगी के सफर की तरह है – कठिनाई और अनिश्चितता से भरा, लेकिन खूबसूरत नज़ारों से सज्जित। वह हर एक मोड़ पर खुद को थोड़ी सी आशा से भरता महसूस कर रही थी। आखिरकार, वे एक खूबसूरत बगीचे में पहुँचे, जहाँ रंग-बिरंगे फूल खिले थे और ताज़ी हवा में एक सुकून था। वहाँ एक छोटी सी झील थी, जिसके पास बैठकर दोनों ने शांतिपूर्वक वक्त बिताया।
रोहन ने नीरा का हाथ थामा और कहा, “नीरा, मुझे नहीं पता कि हम कितने अच्छे माता-पिता बनेंगे, लेकिन मैं जानता हूँ कि हम दोनों साथ मिलकर हर मुश्किल का सामना करेंगे। हमारा बच्चा हमारा सबसे बड़ा आशीर्वाद है, और तुम मेरे लिए सबसे बड़ी ताकत हो।”
नीरा की आँखें भर आईं, लेकिन इस बार ये आँसू खुशी और संतोष के थे। उसे लगा कि वह इस सफर में अकेली नहीं है; उसके साथ उसका साथी, उसका सबसे अच्छा दोस्त रोहन है। उस पल में नीरा ने महसूस किया कि मातृत्व सिर्फ बच्चे को जन्म देने का नाम नहीं है, बल्कि एक नए जीवन की शुरुआत का नाम है, एक ऐसी शुरुआत जहाँ प्यार, समर्थन, और आत्मविश्वास ही उसकी असली ताकत है।
उस दिन नीरा ने अपनी सारी चिंताओं को अपने दिल से दूर कर दिया और एक नई ऊर्जा के साथ अपने आने वाले बच्चे का इंतजार करने लगी।